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भारत का प्रमुख अंग श्री गुलजारीलाल नन्दा श्रम मन्त्री, भारत सरकार
मुझ यह जान कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि अणुव्रत-पान्दोलन के प्रवर्तक आचार्यश्री तुलसी के सार्वजनिक सेवाकाल के पच्चीस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ भंट करने का निश्चय किया गया है। अध्यात्मवाद हा भारत का प्रमुख अंग है । इसे बिना अपनाये हम अपने चरित्र को ऊँचा नहीं उठा सकते। इस दिशा में आचार्यश्री तुलसी ने जो कार्य किया है, वह स्तुत्य एवं स्पृहणीय है। ऐसे विद्वानों का अभिनन्दन करने से सर्वसाधारण में स्फूर्ति पाती है और उनका अनुकरण करने की प्रवृत्ति जागृत होती है। अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं।
पुरातन संस्कृति की रक्षा
श्री श्रीप्रकाश
राज्यपाल, महाराष्ट प्राचार्यश्री तुलसी मे मेरा प्रथम परिचय आज से करीब पन्द्रह-सोलह वर्ष पूर्व बीकानेर के घरू नामक स्थान में हुया था। तब मे उनसे और उनके समुदाय से मेरा सम्पर्क बना रहा और कई बार मुझे उनसे मिलने और उनका प्रवचन सुनने का मुअवसर मिला । इमसे मैंने बहुत प्रानन्द का अनुभव किया।
मुझे यह देख कर भी बहुत सन्तोष हुप्रा कि उनके अनुयायी बहुत ही उत्साही स्त्री-पुरुष है जो कि उनके विचारों का सक्रिय प्रचार करते हैं। उनके द्वारा जनसाधारण की सेवा होती है और जनता को धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। अपने देश में धर्म का सदा से ही प्रबल प्रभाव रहा है। आधुनिक विचार शैलियों के कारण इस प्रोर से कुछ लोग उदासीन होने लगे हैं। ऐसी अवस्था मे उनको पुनः इस ओर ध्यान दिलाते रहना उचित है; क्योंकि इसी में हमारा कल्याण भी है और अपनी पुरातन संस्कृति की रक्षा भी है।
मेरी शुभ कामना है कि प्राचार्यश्री तुलसी हमारे बीच में बहुत दिनों तक रह कर हमारा पथ-प्रदर्शन करते रहे और इनके जीवन और वचन से अधिकाधिक नर-नारी दिन-प्रतिदिन प्रभावित होते रहें। अपनी शारीरिक, मानमिक और प्राध्यात्मिक उन्नति करते रहे और व्यक्तिगत मानमर्यादा बनाये हए देश और समाज की सेवा भी उनके द्वारा होती रहे ।