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भाचार्यश्री तुलसी अभिनन्दन प्रय
प्रमुख शिष्य
प्राचार्य तुलसी के जितने भी शिष्य हैं; वे सब यथाशक्ति इस बात में लगे रहते हैं कि प्राचार्यजी ने जो मार्ग संसार के हित के लिए खोजा है, उसे घर-घर तक पहुँचाया जाये। इस कल्पना को साकार बनाने के लिए मुनिश्री नगराजजी, मुनिश्री बुद्धमल्लजी, मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी आदि अनेक उनके प्रमुख शिष्यों ने विशेष यत्न किया है। ऐसा लगता है कि जो दीप प्राचार्यजी ने जला दिया है, वह जीवन को संयमी बनाने की प्रक्रिया में सदैव सफल सिद्ध होगा। यही मेरी इस अवसर पर हार्दिक कामना है कि प्राचार्य तुलसी का अनुपम व्यक्तित्व सारे देश का मार्ग-दर्शन करता हुप्रा चिर स्थायी शान्ति की स्थापना मे सफल हो।
भगवान् नया आया
श्री उमाशंकर पाणय'उमेश'
उर में हुलास अन्तर प्रकाश ले
कौन ! यहाँ पाया? मन में उमंग, ये नया रंग,
मेहमान नया ग्राया! यह गगन मगन, मृदु मंद पवन मधुतान सुनाते हैहे, कीति धवल! तव स्वागत में
हम नयन बिछाते हैं, अनुभुति जगाती जाग-जाग,
भगवान् यहाँ पाया, मेहमान नया पाया।
लहरें मचलं, सरिता बदले, सागर न बदलना है, प्रादर्श धवल, मम्मान प्रबल,
पर्वत न मचलता है। शुभ कर्म, अहिसा मृदुता का,
वरदान नया लाया, भगवान् यहाँ प्राया।