________________
४२
मकी पहली शताब्दीके लगभग माना जाता है। तत्त्वार्थसूत्रके सिवा उमास्वामिने किसी अन्य प्रथका प्रणयण किया या नहीं ? और यदि किया तो किस किस ग्रंथका ? यह बात अभीतक प्रायः अप्रसिद्ध है। आमतौर पर जैनियोमें, आपकी कृतिरूपसे, तत्त्वार्थसूत्रकी ही सर्वत्र प्रसिद्धि पाई जाती है । शिलालेखों तथा अन्य आचार्योंके बनाए हुए ग्रंथोंमें भी, उमास्वामिके नामके साथ, तत्वार्थसूत्रका ही उल्लेख मिलता है। * __" उमास्वामि-श्रावकाचार " भी कोई ग्रंथ है, इतना परिचय मिलते ही पाठकहृदयोमे स्वभावसे यह प्रश्न उत्पन्न होना संभव है कि क्या उमास्वामि महाराजने कोई पृथक् ' श्रावकाचार' भी बनाया है ? और यह श्रावकाचार, जिसके साथ उनके नामका सम्बन्ध है, वास्तवमे उन्हीं उमास्वामि महाराजका बनाया हुआ है जिन्होंने कि 'तत्त्वार्थसूत्र' की रचना की है ? अथवा इसका बनानेवाला कोई दूसरही व्यक्ति है ? जिस समय सबसे पहले मुझे इस प्रथके शुभ नामका परिचय मिला था उस समय मेरे हृदयमें भी ऐसे ही विचार उत्पन्न हुए थे। मेरी बहुत दिनोंसे इस ग्रंथके देखनेकी इच्छा थी। परन्तु प्रथ न मिलनेके कारण वह अभीतक पूरी न हो सकी थी। हालमें श्रीमान् ५ यथा-- " अभूदुमास्वातिमुनि पवित्रे वशे तदीये सकलार्थवेदी। सूत्रीकृत येन जिनप्रणीतशास्त्रार्थजात मुनिपुगवेन ॥"
-शिलालेख " श्रीमानुमास्वातिरय यतीशस्तत्वार्थसून प्रकटीचकार । यन्मुक्तिमागांचरणोधताना पायेयमर्थ्य भवति प्रजानाम् ॥"
-वादिराजसूरिस
-