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___ॐ ही मार्गशीर्षशुल कादश्यां तपमंगलमण्डिताय श्रीमलिनाथजिनेद्राय अर्घ नि० पौषकी श्यामदूती हने घातिया। केवलज्ञानसाम्राज्य लक्ष्मीलिया ॥ धर्मचक्री भये सेव शक्री करें। में जजौं चर्न ज्यों कर्मवक्री टरै ॥ ___ ॐ ही पौरकृष्णाद्वितीयायां केवलज्ञानप्राप्ताय श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्ध नि०
फाल्गुन सेत पांचे अघाती हते सिद्ध आलै बसे जाय सम्मेदते॥ | इंद्रनागेंद्र कीन्हीं क्रिया आयकें । मैं जजौं सो महो ध्यायके गायके ॐ हीं फाल्गुन शुरूपञ्चम्यां मोक्षमङ्गलप्राप्ताय श्रीमलिनाथ जिनेन्द्राय अर्घ नि० ॥
जयमाला।
घत्तानंद छंद (३१ मात्रा)। तुअ नमित सुरेशा, नरनागेशा, रजतनगेशा, भगति भरा। भवभयहरनेशा, सुखभरनेशा, जै जै जै शिवरमनिवरा ॥१॥
पद्धरि छन्द (मात्रा १६ लध्वन्त)। जय शुभ चिदातम देत एव । निरदोष सुगुन यह सहज टेव ॥ जय भ्रमतमभंजन।
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