________________
-
-
---
छन्द घत्तानंद (मात्रा ३१) जय दीनदयाला, वरगुनमाला, विरदविशाला सुख आला ॥ में पूजों ध्यावों, शीस नमावां, देह अचल पदकी चाला ॥१५॥ ॐ हीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्राय पूर्णाघ निर्वपामीति स्वाहा ॥१५॥
छन्द रोड़क मात्रा (२४) कथुजिनेसुरपोदपदम, जो पानी ध्यावें । अलि समकर अनुराग, सहज सो निजनिधि पावै ।। जो बाँचें सरदहै, करै अनुमोदन पूजा, वृन्दावन तिह पुरुप सदृश, सुखिया नहिं दूजा ॥१६॥
इत्याशीर्वादः परिपुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् । श्रीअरनाथ जिनपूजा। छप्पय छन्द (चीररसकपकालंकार मात्रा १२)