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जय शांति शांति पुष्टी करत ॥६॥ जय कुथु कुथवादिक रखेय। जय अर जिन वसुअरि छय करेय ॥ जय मल्लि मल्ल हतमोहमल्ल । जय मुनिसुव्रत व्रतसल्लदल्ल ॥ ७॥ जय नमि नित वासवनुत सपेम । जय नेमनाथ वृषचक्रनेम ॥ जय पारसनाथ अनाथनाथ । जय वर्द्धमान शिवनगरसाथ ॥ ८॥ घत्तानंद छंद-चौवीस जिनंदा आनंदकंदा, पापनिकंदा सुखकारी।
तिनपद जुगचन्दा उदय अमन्दा, वासववंदा हितधारी ॥६॥ ॐ ह्रीं श्रीवृषभादिचतुर्विंशतिजिनेभ्यो महाघ निर्वपामीति स्वाहा ॥ सोरठा-मुक्तिमुक्तिदातार, चौवीसौं जिनराज पर।
तिनपद मनवचधार, जो पूजै सो शिव लहैं ॥ १० ॥ इत्याशीर्वादः (पुष्पांजलिं क्षिपेत् )
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श्रीआदिनाथपूजा।
अडिल्ल-परमपूज वृषभेश स्वयंभूदेवजू। पिता नाभि मरुदेवि करै सुर सेवजू । कनकवरणतन तंग धनुष पनशत तनों। कृपासिंधु इत आइ तिष्ठ मम दुख हनों ॥१॥