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________________ श्रावश्यक दिग्दर्शन से आया था ? परन्तु गान्धी की ऑधी के झटको को वह रोक न सका और उड गया ! धन अनित्य है, क्षण भंगुर है ! इसका गर्व क्या, इसका घमंड क्या ? भारत के ग्रामीण लोगो का विश्वास है कि 'जहाँ कोई बडा सॉप रहता है, वहाँ अवश्य कोई धन का बड़ा खजाना होता है। यह विश्वास कहाँ तक सत्य है, यह जाने दीजिए । परन्तु इस पर से यह तो पता लगता है कि धन से चिपटे रहने वाले मनुष्य सॉप ही होते हैं, मनुष्य नहीं | मानव जीवन का ध्येय चॉदी सोने की रंगीन दुनिया में नहीं है । विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव, क्या कभी रुपये पैसे के गोल चक्र में अपना महत्त्व पा सकता है ? कभी नहीं । मनुष्य विश्व का एक महान् बुद्धिशाली प्राणी है । वह अपनी बुद्धि के आगे किसी को कुछ समझता ही नहीं है। वह प्रकृति का विजेता है, और यह विजय मिली है उसे अपने बुद्धि-वैभव के बल पर । वह अपनी बुद्धि की यात्रा मे कहाँ से कहाँ पहुँच गया है । भूमण्डल पर दुर्गम पहाडों पर से रेल और मोटरे दौड रही हैं। महासमुद्रों के विराट वक्ष पर से जलयानों की गर्जना सुनाई दे रही है । आज मनुष्य हवा में पक्षियो की तरह उड रहा है, वायुयान के द्वारा संसार का कोना-कोना छान रहा है। मनुष्य की बुद्धि ने कान इतने बड़े प्रभावशाली बना दिए हैं कि यहाँ बैठे हजारो मीलो की बात सुन सकते हैं । और आँख भी इतनी बड़ी होगई है कि भारत में बैठकर इङ्गलैंड और अमेरिका मे खडे आदमी को देख सकते हैं । अरे यह परमाणु शक्ति ! कुछ न पूछो, हिरोसिमा का संहार क्या कभी भुलाया जा सकेगा? रबड की छोटी सी गेद के बराबर परमाणु बम से आज दुनिया के इन्सानो की जिन्दगी काँप रही है। अभी-अभी स्विटजरलण्ड के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि तीन छटॉक विज्ञानगवेषित विषाक्त पदार्थ विशेष से अस्त्रो मनुष्यो का जीवन कुछ ही मिनटो में समाप्त किया जा सकता है । और देखिए, अमेरिका में वह हाइड्रोजन बम का धूपकेतु सर उठा रहा है, जिसकी चर्चा मात्र से मानव जाति त्रस्त हो उठी है। यह सब है मनुष्य
SR No.010715
Book TitleAavashyak Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1950
Total Pages219
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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