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(प्रसजुत्त) भूक 2/1 अनि त (त) 2/1 सवि सुखणय (सुद्धणय)
2/1 वियाणाहिः (वियाण) विधि 2/1 सक 7 जो (ज) 1/1 सवि पस्सदि (पस्स) व 3/1 सक अप्पाण (मप्पाण)
2/1 अवद्धपुछ [ (प्रवद्ध) + (अपुट्ठ) ] [ (प्रवद्ध) भूक अनि(अपुट्ठ) भूक 2/1 अनि ] अण्णमविसेसं [ (अणण्ण)+ (प्रविसेस)]प्रणण्ण (अणण्ण) 2/1 वि अविसेस (अविसेस) 2/1वि अपदेससुत्तमझ [ (प्र-पदेस) + (अ-सुत्त) + (अ-मज्झ) ] [ (अ-पदेस) वि-(अ-सुत्त) वि-(अ-मज्झ) 1/1 वि] जिणसासरण [ (जिण)-(सासण) 2/1 ] सव्व (सम्व) 2/1 वि जह (अ) जैसे णाम (अ)=पाद पूर्ति को (क) 1/1 वि वि (अ)=भी पुरिसो (पुरिस) 1/1 रायाण (रायाण) 2/1 अनि जारिणदूरण (जाण) सक सद्दहदि (सह) व 3/1 सक तो (अ)तब त (त) 2/1 सवि अरण चरदि (अणुचर) व 3/1 सक पुरणो (प्र) =और अत्थत्थीयो (अत्यत्थी) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक प्रत्यय
पयत्तेण (क्रिविन)=बडी सावधानीपूर्वक 9 एव (अ)=वैसे हि (अ)=ही जीवराया [ (जीव)-(राय)
1/1] यादवो (णा) विधिकृ 1/1 तह य (अ)=तथा सहहेदव्वो (सद्दह) विधिक 1/1 अरण चरिदन्वो (अणुचर) विधिक 1/1 य (अ)=और पुरणो (अ)=फिर सो (त) 1/1 वि चेव (म)= ही
दु (अ)=निस्सदेह मॉक्खकामेण (मॉक्खकाम) 3/1 वि. 10 महमेव [ (ग्रह) + (एदं) ] अहं (प्रम्ह) 1/1 स एद (एद)
1/1 सवि एदमहं [ (एद) + (प्रह) ] एदं (एद) 1/1 सवि 1 माशार्थक या विधि प्रर्थक प्रत्ययों के होने पर कभी कभी अन्त्यस्थम के स्थान
पर 'मा' की प्राप्ति हो जाती है। (हेम-प्राकृत-व्याकरण 3-158 वृत्ति) 60 ]
समयसार