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व्याकरणिक विश्लेषण 1 सुदपरिचिदाण भूदा [ (सुद) + (परिचिद) + (अणुभूदा)] [ (सुद)
भूक अनि-(परिचिद) भूकृ अनि--(अणुभूद-+प्रणुभूदा) भूक 1/l अनि] सन्वस्स! (मब) 61 वि वि (प्र)=निश्चय हो कामभोगवधकहा [ (काम)-(भोग)-(वध)-(कहा) 1/1] एयत्तस्सुवलभो [ (एयत्तस्स) + (उवलभो) ] एयसम्म (एयत्तः) 6/1 उवलभो (उवल भय) 1/1 रणवरि (घ)-केवल ण (म)=नहीं
सुलहो (सुलह) 11 वि विहत्तस्स (विहत्त) भूक 6/1 अनि 2 त (त) 2/1 सवि एयत्तविहत्त [ (एयत्त)-(विहत्त) भूक 211
अनि ] दाएहब (दाम): भवि 1/1 सक अप्पणो (मप्प) 6/1 सविहवेण [ (स) वि-(विहव) 3/1] जदि (अ)=यदि दाएज्ज (दान) विधि 111 सक पमाण (पमाण) 1/1 चुक्केज्ज (भुक्क) विधि 1/1 अक छल (छल) 111 ण (प्र)=नही घेत्तचं (घेत्तम्ब)
विधि 1/1 अनि । 3 नह (अ)-जैसे ण वि (म)=कभी नही सक्कमणज्जो [ (सक्क)
+(मगज्जो) ] मक्क (सक्क) विधिकृ 1/1 मनि प्रगज्जो (अणज्ज) 1/1 वि अरगज्जभास: [ (मणज्ज) वि-(भास) 211)
विरणा (अ)-विना दु (अ)=पाद पूर्ति गाहे (गाह) हेकृ तह (म) . 1 कभी कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर पष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता
है। (हेम-प्राकृत-व्याकरण 3-134) 2 वध-निरूपण, एयत्त-अद्वितीयता, विहत्त-समतामयी, उवलम-मनुभव 3 (दा+अ)-यहाँ 'दा' में विकल्प से 'अ' जोडा गया है। 4 हेम-प्राकृत व्याकरण, 3-170 तथा अभिनव प्राकृत व्याकरण, पृष्ठ, 264(11)। 5 "विना' के साथ द्वितीया, तृतीया या पचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
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समयसार