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5 सुद्धो सुद्धादेसो णादवो परमभावदरिसीहि ।
ववहारदेसिदा पुरण जे दु अपरमे ठिदा भावे ॥
6 जो पस्सदि अप्पारण प्रबद्धपुछ अरगण्यं
अविसेसमसजुत्त त सुद्धरणय
रिणयदं । वियाणाहि ॥
7 जो पस्सदि अप्पाण, अवद्धपुट्ठ अणण्णमविसेस ।
अपदेससुत्तमझ, पस्सदि जिणसासरण सव्वं ॥
8 जह णाम को वि पुरिसो रायाण नारिणदूण सद्दहदि ।
तो त अणुचरदि पुरणो अत्थत्थीनो पयत्तेण ॥
9 एव हि जीवराया रणादवो तह य सद्दहेदव्यो । ___ अणुचरिदवो य पुणो सो चेव दु मॉक्खकामेण ॥
10 अहमेद एदमह अहमेदस्सेव होमि मम
अण्णं ज परदव्व सच्चित्ताचित्तमिस्स
एद । वा ॥
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समयसार