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1/I सक दन्वे (दन्व) 7/1 अण्णमसंकतो [(अण्ण) + (प्रसंकतो)] अण्ण (अण्ण) 2/1 सवि असकतो (असकत) भूक 1|| अनि किह (प्र)=किस प्रकार त (त) 2/1 सवि परिणामए।
(परिणाम) व 3/1 सक दव्व (दव्व) 2/1 56 दव्वगुणस्स [ (दव)- (गुण) 611] य (प्र)=सर्वथा प्रादा
(आद) 1/1 ण (प्र)=नही कुणदि (कुण) व 3/1 सक पोग्गलमयम्हि (पॉग्गलमय) 7.1 कम्मम्हि (कम्म) 7/1 त (त) 2/1 सवि उहयमकुवती [ (उहय) + (भकुन्बतो) उहयं (उय) 2/1 वि अकुव्वतो (अकुन्व) व 1/1 तम्हि (त) 7/1 सवि कह (अ)- कैसे तस्स (त) 6/1 स सो (त) 1/1 सवि कत्ता (कत्त) 1/1 वि जोवम्हि (नीव)7/1 हेदुदे [ (हेदु)-(भूद) भूक 7/1 अनि ] वघस्स (बघ) 6/1 दु (प्र)=पाद पूर्ति पस्सिदूरण (पस्स) संकृ परिणाम (परिणाम) 211 जीवेण (जीव) 3/1 कदं (कद) भूक 1/1 अनि कम्म (कम्म) 1/1 भण्णादि (भण्ादि) व कर्म
3/1 मक अनि उवयारमेतेण (क्रिविन)= उपचार मात्र से 58 जोधेहि (जोध) 312 कदे (कद) भूकृ7/1 अनि जुद्धे (जुद्ध)
711 रायेण (राय) 3/1 कद (कद) भूकृ 1/1 अनि. त्ति (प्र)
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को
1 प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमान काल का प्रयोग प्राय भविष्यत् काल के
अर्थ में होता है। 2 कभी कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान मे पप्ठी का प्रयाग पाया जाता है ।
हिम-प्राकृत-व्याकरण . 3-134)। 3 एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया होने पर पहली क्रिया में सप्तमी होती है।
कत्तृवाच्य में कर्ता मौर कृदन्त में सप्तमी होती है। 4 एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया होने पर पहली क्रिया में सप्तमी होती हैं ।
पर्मवाच्य में कर्म मौर कृदन्त में सप्तमी होती हैं, कर्ता में तृतीया होती है ।
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समयसार