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सामा।
न पूर्वक करते हैं या अज्ञानपूर्वक ? अगर ज्ञान पूर्वक करते हैं तो फिर ज्ञान ही उपयोगी और उत्तम ठहरा जिसके द्वारा अज्ञानवाद का समर्थन किया। जाता है। यदि अज्ञान पूर्वक अज्ञानवाद का समर्थन किया जाय तो उसका मूल्य .. ही कुछ नहीं रहता । विवेकी जन उसे स्वीकार नहीं कर सकते। ..
... हां तो सेठानी के कहने से लड़के पढ़ने नहीं गए । दो-चार दिन बीत • गए । शिक्षक ने इस बात की सूचना दी तो सेठ ने सेठानी से पूछा । सेठानी .. अागवबूला हो गई । बोली-'मुझे क्यों लांछन लगाते हो ! लड़के तुम्हारे,
लड़किया तुम्हारी ! तुम जानो तुम्हारा काम जाने !' : . : पति-पत्नी के बीच इस बात को लेकर खींचतान बढ़ गई । खींचतान ने - कलह का रूप धारण किया और फिर पत्नी ने अपने पति पर कुंडी से प्रहार .. - . किया। .... प्राचार्य बोले-गुणमंजरी वही सुन्दरी है । ज्ञान के प्रति तिरस्कार का
भाव होने से यह गूगी के रूप में जन्मी है। ....... राजा अजितसेन ने भी अपने पुत्र वरदत्त का पूर्व वृतान्त पूछा । कहा...
भगवान् : अनुग्रह करके बतलाइए कि राजकुल में उत्पन्न होकर भी यह
निरक्षर और कोढ़ी क्यों है ? - आचार्य ने अपने ज्ञान का उपयोग लगाकर कहा:- वरदत्त ने भी ज्ञान के
प्रति दुर्भावना रक्खी थी। इसके पूर्व जीवन में ज्ञान के प्रति घोर उदासीनता का वृति थी। श्रीपुर नगर में वसु नामका सेठ था। उसके दो पुत्र थे- वसुसार
और वसुदेव । वे कुसंगति में पड़कर दुर्व्यसनी हो गए। शिकार करने लगे। वन ... ... में विचरण करने वाले और निरपराध जीवों की हत्या करने में प्रानन्द मानने :- लगें। एक बार वन में सहसा उन्हें एक मुनिराज के दर्शन हो गए । पूर्व संचित .
'पुण्य का उदय आया और सन्त का समागम हुआ। इन कारणों से दोनों भाइयों ... - के चित्त में वैराग्य उत्पन्न हो गया। दोनों पिता की अनुमति प्राप्त करके दीक्षित हो गए दोनों चरित्र की प्राराधना करने लगे। ............