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२३२] जलाले तो उतना बुरा नहीं समझा जाएगा परन्तु समझदार ऐसा. करेगा तो. अधिक उपहास तथा अालोचना का पात्र बनेगा।
वाणी प्रान्तरिक चेतना की अभिव्यक्ति का सर्वोत्तम साधन ही नहीं; अनेकानेक व्यवहारों का माध्यम भी है। सफल वक्ता हजारों लाखों विरोधियों को अपने वाणी के जादू से प्रभावित करके अनुकूल बना लेता है।
एक तरूण व्यक्ति किसी गांव में एक किसान के घर गया। किसान के साथ उसका लेन-देन का व्यवहार था। वह खाने के लिए थोड़े से धान के दाने ले गया । किसी गांव में घुघरी बना कर खा लेंगे, यह सोच कर वह चल दिया। रास्ते में उसे खेड़ा मिला । वहां एक बुढ़िया ने उसे राम-राम, किया। उस तरूण ने कहा-भूख बहुत. लगी है, रोटी, बनाने की सुविधा नहीं है.। धान के दाने मेरे पास है, क्या घुघरी बना दोगी.?
___ बुढ़िया घुघरी बना देने को राजी हो गई। उसने एक. हंडी में दाने डाल दिये और आगत तरुण से कहा-कुछ देर बैठे रहना या निपटना हो तो निपट आयो । मैं अभी आती हूं।
___ तरूण ने एक बढ़िया भैंस की ओर संकेत करके. प्रश्न किया कि यह भैंस किस की है. ? .
उत्तर मिला-'अपनी ही है, 'वाहर क्यों नहीं निकालती ?' 'नजर न लग जाय, इसलिये ।'
इसके बाद उस असंयत वाणी वाले तरूण ने बिना सोचे-समझे प्रश्न किया-'यदि भैस मर जाय तो इतनी छोटी संकीर्ण वाड़ी में से कैसे बाहर निकालोगी?
बुढ़िया को रोष आया, मगर उस तरूण, को घर आया तथा नासमझ समझ कर क्षमा कर दिया।