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आध्यात्मिक आलोक
जब शिष्यों ने देखा कि गुरुजी मौन हैं तो 'मौनं सम्मतिलक्षणम्' अर्थात् चुप्पी सहमति का लक्षण है, यह समझ कर वे वहां से चल दिए । सिंह गुफावासी अनगार रूपकोषा के घर जाने को उद्यत हो गए | आगे की घटना प्रसंग आने पर विदित होगी । हमें इस घटना से यह सीखना है कि ईर्ष्या के बदले यदि सात्विक स्पर्द्धाभाव से काम लिया जाय तो इहलोक-परलोक में कल्याण हो सकता है।
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