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आध्यात्मिक आलोक की पाशविक शक्ति के आगे भी जो जनमत झुक नहीं सका, वह अपने भाइयों के सामने मौन रहे, इससे बढ़कर दुःख की बात और क्या हो सकती है ?
आज लोगों में सबसे बड़ा रोग आस्थाहीनता का घर कर गया है और जन-मानस आध्यात्मिक भाव से शुन्य हो उठा है । वह सत्य अहिंसा का चमत्कार देखकर भी विश्वास नहीं कर पा रहा है कि इससे न सिर्फ इस लोक का वरन् परलोक का पथ भी प्रशस्त होता है । लोगों के हृदय में घर की गई इस शुन्यता को भगाना है और उन्हें फिर से विश्वास दिलाना है कि सत्य अहिंसा के द्वारा सिद्धि में देर भले ही हो किन्तु उसका असर स्थायी और अमिट होगा | मनुष्य आध्यात्मिकता की ओर प्रवृत्त होकर ही अपना तथा समाज का कल्याण कर सकता