SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ पधिनी चरित्र चौपई AchAAM राजा गुरु स्त्री आगि नो जी, नवि कीजें आसग ।राण 'लव्धोदय' इण परि कहें जी, वीजी ढाल सुरंग ॥१७ाच०॥ [सर्व गाथा ४२] पद्मिनी पाणिग्रहण प्रतिज्ञा दोहा रीसाणो उठ्यो तुरत, तजि भोजन तिण वार। राणो तो हुँ रतनसी, परशुं पदमणि नारि ॥१॥ मोसा तो बोल्या मुनें, जई मे राख्यो मान । हिवें परj तरुणी पदमणी, गालुं तुज्झ गुमान ।। २॥ मूरिख तें मुझ ने गण्यो, वचन कह्यो अविचार । जो पदमणि हाथे जीमस्युं, तो आयु तुझ बार ॥३॥ मान गहेली माननी, विरुअउ वोल्यो वयण । विण आदर न रहें कदे, सिंह सूर ने सयण ॥ ४॥ गाहा जणणी जण वंधू, भजा गेह धण च धन्नं च । अवि माणया पुरिसा देस दूरेण छंडंति ।। ५॥ दोहा कीधी परतज्ञा इसी, मन सेती महाराय । पदमणि परणु तो धरि रहुं, नहिं तो गिरि वनराय ॥३॥ १ सुचग
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy