SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ५५ ) यह कहकर आश्वस्त किया कि युद्ध में अपने दोनों साथ चलेंगे, अभी तो मैं केवल चास-भाष देखकर आता हूँ। ___ वादल तत्काल मेवाड़ी सुभटों की सभा में पहुंचा। उसे अचानक आये देखकर सब लोगों ने खडे होकर सम्मान प्रदशिन किया। वीरभाण कुमार आदि से खब विचार-विमर्श करने के अनन्तर वह अकेला अश्वारूढ़ होकर शाही सेना की खबर लेने के लिए चल पड़ा। सुलतान ने जब अकेले बादल को आते देखा तो चमत्कृत होकर सम्मानपूर्वक उसे अपने पास बुलाया। वादल ने कहा मै पद्मिनी का भेजा हुआ आया हूँ। अपना पूरा परिचय देते हुए उसने कहा-पद्मिनी ने जव से आपको देखा है, आपसे मिलने के लिए तडफ रही है, वह उस घडी की प्रतीक्षा मे है, जब आप से उनका मिलना होगा। यह लीजिये उसने मुझे आपको देने के लिए चिट्ठी भी दी है, जिसमे अपनी आतरिक अवस्था और विरह गाथा यत्किञ्चित प्रदर्शित की है। आपका संदेश जब पद्मिनी को आपके यहाँ भेजने के लिये गढ़ मे पहुंचा तो सुभटों ने तो मरने मारने की तैयारी कर ली, पर मैं किसी प्रकार कुँवर वीरभाण व सुभटों को समझा-बुझाकर आया हूँ और आशा करता हूँ कि आपका व पद्मिनी का मनोरथ पूर्ण करने मे मुझे अवश्य सफलता मिलेगी। __ बादल के प्रस्तुत किये नकली प्रेमपत्र को पढ़कर सुलतान पानी-पानी हो गया। उसके हृदय पर इसका सीधा असर हुआ
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy