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________________ ( ४६ ) किसी प्रकार सुलतान को लौटाने की युक्ति सोचो, अन्यथा बेकार लाखो की प्राणाहुति हो जायगी। राघव चेतन की सलाह से ५०० हाथी ५००० घोड़, करोड़ दीनार एवं नाना प्रकार की भेंट वस्तुएँ प्रस्तुत कर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा वाहनों मे भरकर प्रात:काल होने से पूर्व ही समुद्र मे उपस्थित कर दिये और उन्हें सिंहलपति के प्रधान लोग दण्ड स्वरूप लाये हैं, बतला कर विनय वचनों से सुलतान को समझाकर सुलह करा दी। सुलतान ने सिंहलपति की कथित भेंट स्वीकार कर उनके प्रतिनिधियों को सिरोपाव देकर लौटा दिया और सिंहल से आई हुई भेंट को अपनी सेना मे बाँट कर दिल्ली की ओर लौटने का आदेश दे दिया। जब सुलतान दिल्ली आये, तो बडी बेगम ने कहा-आप कैसी पद्मिनी लाए है, हमे भी दिखाइये। सुलतान के मन मे फिर पद्मिनी प्राप्त करने की तमन्ना जग उठी और राघवचेतन से कहा-सिंघलद्वीप के सिवा और कहीं पद्मिनी स्त्री हो तो बतलाओ । राघव चेतन ने कहा-चित्तौड़ के राणा रतनसेन के यहाँ पद्मिनी अवश्य है, पर शेषनाग की मणि को कौन ग्रहण कर सकता है ? सुलतान ने अभिमान पूर्वक बड़ी भारी सेना तय्यार कर चित्तौड पर चढ़ाई कर दी। राणा की सेना ने सुलतान के साथ वडी वीरता से युद्ध किया और उसके सारे प्रयत्न विफल कर दिये । सुलतान ने सफलता पाने के लिए गुप्त छल करने का निश्चय करके अपने प्रधान पुरुषों को सुलह करने
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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