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गोरा वादल चौपई पद्मिनी पान राचंति, मान राचंति चित्रणी, हस्तनी हास राचंति, कलह राचंति संखनी ॥४१॥ पद्मिनी पद्म गंधन, मद गंधेन चित्रणी, हस्तनी पहप गंधन, मच्छ गंधेन संखणी ॥४२।। पद्मिनी पोहर-निद्रा च, द्वे पोहर निद्रा च हस्तनी, चित्रनी चमक निद्रा च, अघोर निद्रा च संखनी ।।४।।
( अथ पुरप जात च्यार वर्णनम् )
दूहा
अथ सिसा लखण मूख सकोमल, तन, वचन, सीलवंत, सुर ग्याँन, रति विनोद अति रुच नहीं, ससा करत बहु साँन |४४||
अथ मृग लछन मधुर-वचन, मृग मध्य-तन, चपल बुद्धि अति भीर, चतुर, साधू, अति हसत मुख, कामी, कनक-सरीर ।।४।।
अथ वृषभ वृषभ जात भारी पुरुष, दाता, क्रूर-सुभाव, कपटी कछ लंपट हठी, काम केल वहु चाव ।।४६।।
अथ तुरंग तन दीरघ दीरघ चरन, दीरघ नख सिख अग, सुभर-तरुनि-सँग रति-रवन, आलस अधिक तुरंग ।। ४७ ।।