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________________ ( १५ ) प्रकाशित ज्वालामुखी देवी का स्तव भी राघवचैतन्य मुनि की कृति है। यह राघवचैतन्य सम्भवतः जिनप्रभसूरि प्रबन्ध के राघव चैतन्य से अभिन्न है । शाङ्गधर पद्धति , का रचयिता शाङ्गधर राघव का पौत्र था और उसने अत्यन्त आदर पूर्वक श्री राघव चैतन्य के श्लोकों को उद्धृत किया है। इससे सिद्ध है कि राघवचंतन्य की एतिहासिकता जायसी के पद्मावत पर निर्भर नहीं है। और यही वात अव बढता के साथ पद्मावती के विषय में भी कही जा सकती है। छिताई चरित्र का एक सस्करण प्रकाशित हो चुका है। दूसरा श्री अगरचन्द जी नाहटा द्वारा सम्पादित होकर शीव्र ही इन्दौर से प्रकाशित होने वाला है। इसकी रचना के समय महानगर सारगपुर मे सलही शासन कर रहा था । सलहढी की मृत्यु ६ मई, सन् १५३२ के दिन हुई। इससे स्पष्ट है कि छिताई चरित की रचना इससे पूर्व हुई होगी । विशेष रूप से अन्य रचना का वर्णन इस पच मे है। पन्द्रह सइ रु तिरासी माता। कछूक सुनी पाठली वाता ||१०|| सुदि आपाढ सातइं तिथि भई । कथा छिताई जपन लई ।। इसके अनुसार छिताई चरित की रचना वि० स० १५८३ तदनुसार सन् १५२६ ई० में हुई। पद्मावत का रचनाकाल सन् १५०० है। अतः यह निश्चित है कि छिताई चरित अपनी
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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