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१३२] [ रत्नसेन-पद्मिनी गोरा बादल संवन्ध खुमाण रासो राघव आलम पासें रहें, असपतिरी बगसीसा लहें। राघव कुबधि कियो मंत्रणो, काढुवैर हवें चोगणो ॥४७॥ रतनसेन ऊपर रिम राह, ले जाऊँ चित्रगढ पतिसाह । कोइक करस्युहुँ कलि चाल, रतनसेन भांजुभूपाल ॥४८॥ भाट एक सुभाईपणो, तिण सुकहीयो ए मंत्रणो । अंव खास वेंठो असपन] त, हंस पाँख ग्रही सुविग[त्त ४६ यारो इस सुभी मकशूल, प्रथवी माँ काइ अमूल । हजरत इस सु मेहरी खूब, महिला पदमणी हे महबूब ॥५०॥
गाहा मान सरोवर मज्झे, निवसे कलहंस पंखिया वहवे । ताणतो सुकमाला, इसा पंखी मम हत्थे ।।१।।
चौपाई पूछे आलम पदमणि जेह, सोही वतावो हम कु तेह । अंदर हुरम परिक्खा करो, पदमणि हो सो आगे धरो ॥५२॥ हजरत दीधा खोजा साथ, देख्यो हुरम तणो सहु साथ । हस्तणी चित्रणी ते सखणी, इसमे कोई नही पदमणी ।। ५३।। किस थानिक है कहो हम भणी, सींघलद्वीप अछे पदमणी। जास्यु सींघल लेस्युहेर, जिहा हुवें जिहा ल्याउं घेर ।।४।। सींचल ऊपर थया तियार, आलिमसाह हुआ असवार । ल्हसकर लाख सताविस लार, उदधि पास आव्या तिणवार ।५५ दीठो आगे उदधि अथाग, मानव कोइ न लाभे थाग। उदधि उपर ह [ल]ला करें, आलिम को कारिज नवि सरें ॥५६॥