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| पद्मिनी चरित्र चौपई
माहो माहि माड्यो जोध, ऊछलीयो सूरातम क्रोध । मी० । छूटण लागा कुहकबाण, हथनालां करती घमसाण ।। मी०॥१०॥ सर छूटइ करता सणणाट, वकतर फोड़ि कर वे फाट मी० । ध्रुव वाजें वरछी धीव, भाजे कायर लेई जीव ।। मी०।११।। ऊडी रज आकाशे जाय, रवि जिण थी मालिम न थाय ।।मी। घोर अंधारे जाणे घोर, गाजे बाजै नाचे मोर । मी० ॥१२॥ धड़ धड़ वलय धारू जल धार, चमक वीजल जिम जलधार। तूटे सन्नाहे तलवार, उडइ तिणगा अगन सुझाल ॥मी०१३॥ खल हल खलक्या लोही खाल, पावस रित जाणे परनाल मी०॥ रुहिर माहि पंपोटा' थाय, दोड़ी' जोगणी पात्र भरायः ॥१४॥ करवाला धड़ फूटै घाव, छंछउ छलि कीधो भिड़काव ।।मी० । रुहिरज प्रगटउ परिकास, नाच्यो नारद कीधो हास ।।१।। गुडीया जाणे जेम पहाड़, सूर भिडता थाए आड |मी० । मस्तक विण धड जझइ अपार, करि करवाल करंता मार ॥१६॥ खीजे वाह्यो सुरइ खग्ग, आधउ तूटि रह्यउ सिरि नग्ग । मी०। फावइ सिर ऊपरि खुरसाण, सुर लहयो
जाणइ स्वर्ग विमाण ॥मी०॥१७॥ झड ओझड वाहइ रिणघोर, जूझइ राणी जाया जोर । मी० । 'लालचंद कहै समझे सूर, दोन्य दल वीरा रस पूर।।मी०॥१८॥
१ पखोटा २ जाणे उधा ३ तिराय ४ सधिर ५ हासउ हास ६ गयवर।