SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८४] [पद्मिनी चरित्र चौपई राति दिवस झरती रहें, मूकें मुखि नीसास । नयणे नीझरणा झरें, नारी अधिक उदासो रे ॥३॥सुना जिण दिन थी थे वीछारा, नयणे नेह लगाय । सुख जाणइ यम सारिखो, भुवन भाठी सम थायो रे ॥४०॥ तरुणापउ विस सउ लगइ, सोल शृंगार अंगार। अगनि झालि सम चादलउ, जालण वालण हारो रे ||सु०॥ भूषण जाणि भुजंग सा, चउकी चाक समान । वीछ सम ए विछीया, सिज्या अगनि समानो रे ।।६।सुगा. वार जेह विछावणा, तीखा बरछा जाणि । पड़दउ तेह पहाड सउ, अङ्गण आवइ खाणो रे ॥णासु०॥ देह गई सब सूकि नै, नयने नींद हराम ।। राति दिवस रटती रहें, साहिब जी तुम नामो रे ॥८॥सुगा भूख प्यास लागे नहीं, चिन्ता व्यापी देह । कीधी का तुम्ह मोहिनी, निवड़ लगायो नेहो रे ॥६॥सु०॥ मास लोही नामइ रह्यउ, छाती पड़ियड छेक । दुक्ख दुसह किम करि सहइ, तुम्ह विरह सुविवेको रे ।।१॥सु०॥ पलक गिणे एक मास सउ, घड़ीय गिणे छम्मास । वरस समान दिन नइ गिणइ, इम विरह पीडइ तास रे ।११।सु०॥ तुम्हसुं लागउ नेहलउ, जाण मजीठउ राग। पट्टकूल फाटें थकें, रहें त्रागा सँ लागो रे ॥१२॥सु॥ त जीवन तू आतमा, गत मति प्राण आधार । सासें सासें संभरइ, पदमिणि वार हजार रे ।।१३।।सु०॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy