SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पद्मिनी चरित्र चौपई] । ७३ पूत सुणो माता कहै, सगते स्यो जंजाल रावत। काय माड्यो किण रै वलै, ए घर जाणी ख्याल रावत ॥१२॥ पूठै स्यु देखो घणो, आगे पाछे तुम एक रावत । तू मुझ आधा लाकड़ी, तु कुल थभण टेक रावत ।।१३।।वी। जीव जड़ी तुमाहरे, तू मुझ प्राणआधार रावत । तो विण वेटा माहर, सूनो ए संसार रावत ||१४||वी०॥ हिव त जूझण ऊमह्यो, पोति समाही काल रावत । दांत अछै तुझ दूधरा, अजी अछै तुवाल रावत ॥१शावी०॥ तुम ने लाज न कोई चढे, गढ मे सुभट अनेक रावत । प्रास न कोई भोगवा, राय तणो सुविवेक रावत ॥१६॥बी०॥ कदी कीधा जाणो किसा, वेटा तें संग्राम रावत । लब्धोदय' कहै बहु परै, माय समझावै आम रावत ॥१७॥ दूहा रिणवट रीत जाणे नहीं, विचि विचि बोले एम। किम अणजाण्यो कीजिए, कारिज अनड़ नि तेम ॥१॥ अजी न साधी घर घरणि, कहता आवै लाज । अती उच्छक उतावलो, रखै विगाड़े काज ॥२॥ कीधा कदे न आज लगि, एक त्रिणा थी दोय । बालक बेटा वादला, किलो किसी परि होय ॥३॥ १ लालवद २ वजि वजि बोले बाल ३ पुत निटोल । -
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy