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पद्मिनी चरित्र चौपाई ]
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, पद्मिनी आदि स्त्री के लक्षण
॥ कवित्त ॥ रूपवंत रति रंभ, कमल जिम काया कोमल 'परिमल पहोप सुगंध, भमर भमें बहुपरिकरे उत्पल चपकली जिम रंग, चंग गति गयंद समाणी शशि वदनी सुकमाल, मधुर मुख जपे वाणी चंचल चपल चकोर जिम, नयण काति सौहै घणी। कहै राघव सुलतान सुणि, पहोवी हुवे अइसी पदमणी ॥१॥ कुच युग कठिन सरूप, रूप अति रूड़ी रामा। हस्त वदन हित हेज, सेज नितु रमें सुकामा रुसे तूस रंग, संगि सुख अधिक उपाव राग रंग छतीत्त, गीत गुण ज्ञान सुणावै । स्नान मजन तंवोल स्यु, रहई अहोनिश रागणी कहे राघव सुलतान सुणि, पहोवी हुइइसी पदमणी ॥२॥ वीज जेम मलकंत, काति कुदण जिम सोहै। सुर नर गण गंधर्व, रूप त्रिभुवन मन मोहै। त्रिवली तन वेउ लंक, वक नहु वयण पयंपइ पति सु प्रेम अपार, अवर सु जीह न जंपइ स्वामी भगति ससनेहली, अति सुकुमाल सुहावणी । कहै राघव सुलतान सुणि, पहोवी हुइ इसी पदमणी ॥३॥
१ बहु भमै बलावल २ इसी हुई