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( २०६ ) जउ पणि वात छड एम ॥ स०स०॥ तउ पणि विण छोड्या मुम अपजस नूतरइ रे लो । स०। इण परि चित्त विचारि ।। स० स०॥ वात सहु ल्याई राम सुणिज्यो जे करइ रे लो ।।३।। पहिली ढाल रसाल || स० स०॥ साभलत्तां सुघड़ा नउ हीयडउ गहगहइ रे लो । स० . कीधा करम कठोर ।। स० स०॥ विण वेयां छूटइ कुण समयसुंदर कहइ रे लो ।। ३६ ॥ स०
सर्वगाथा ॥५०॥
दहा २६ लखमण तउ वास्या घj, पणि न रह्या श्रीराम । तुरत वोलायउ सारथी, जसु कृतांतमुख नाम ||शा रे रे सुणि तु सारथी, सीता वहिलि वइसारि। छोडि आवि तुं एहनइ, अटवी डंडाकार ॥२॥ लोक मांहि तु इम कहेइ, डोहला पूरण काजि । तीरथनी जात्रा भणी, ले जाउं छं आज ॥३।। राम वचन मांनी करी, सारथि सीता पासि । आवी नइ इम वीनवई, देवि सुणउ अरदास ॥४॥ मुम आदेश दियउ इसो, श्रीरामइ सुणि मात । सीता डोहलो पूरि तूं, तीरथ जात्र सुहात ॥शा रथ वइसउ तुम्हे मातजी, सीता गुणि नउकार । रथ बइसी चाली तुरत, ले अरिहंत आधार ।।६।।