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( २०५ ) तुम्ह सरिखा पणिसूर ।। स०॥ सोचा नई चिंता करि मुख विलखो कियो रे लो ।। २६ ।। स०॥ कहिवा सरिखउ होइ । स०॥ तउ मुझनई परमारथ बांधव दाखीयइ रे लो । स० ॥ राम कहइ सुणि वीर ।। स०॥ तेस्यु छ जे तुम्ह थी छानो राखियइ रे लो ।।३० ॥ स०॥ लोग तणउ अपवाद ॥ स० स०।। सीतानो सगली वात ते रामइ कही रे लो। स० रावण लंपट राय ॥ स० स०॥ सीता तिहा सीलवंतो कहि ते किम रही रे लो॥३१॥ एहवी सामलि वात ॥ स० स०॥ कोपातुर लखमण कहइं लोको साभलो रे लो । स०। सीता नउ अपवाद । स० स०॥ जे कहिस्यइ तेहनउ हुँ मारि तोडिसी तलो रे लो॥३२| स० राम कहइ सुणि वच्छ । स० स० ॥ लोकां ना मुहडा तउ वोक समा कह्या रे लो। स०। किम बुदीजइ तेह ।। स० स०॥ कुवचन पणि लोकां ना किम जायई सह्या रे लो॥३३।। स० सुणउ लखमण कहइ राम।। स० स०॥ भख मारइ नगरी ना लोक अभागियो रे लो। स० । साचउ सीता सील ।। स० स०॥ ए वात नउ परमेसर थास्यइ साखियो रे लो।। ३४|| स०.