________________
( २०४ । चालणि मइदउ मुंकि । स०॥ छाती नइ थूला देखाडइ असारका रे लो॥ २४ ॥ स०॥ ते को नहीय उपाय । स० ॥ दुसमण नउ किणही परि चित्त रंजीजीयइ रे लो ।। स०॥ सूरिज पणि न सुहाइ ॥ स०॥ घुयड नई रातई केही परि कीजीयइ रे लो॥ २५ ॥स०॥ सीत नो पालण आगि । स० ।। तावड नो पणि पालण ताढी छाहडी रे लो।। स०॥ तरस नो पालण नीर ।। स०॥ माणस ना अवेसास पालण बाहडी रे लो ॥२६॥ स०॥ सहु ना पालण एम ।। स०॥ पणि दुरजण ना मुखनो पालन को नही रे लो॥ स०॥ साचउ साचइ' झूठ ।। स०॥ मई मइलो माहरो कुल वंस कियो सही रे लो।। २७ । स०॥ कुजस कलंक्यो आप ॥स०॥ अजीताई सीता नइ छोडुतउ भली रे लो ॥ स०॥ इम चिंतवतां राम ॥ स० ॥ इण अवसरि आव्या तिहां लखमण मन रली रे लो ॥ २८ ॥स०॥ चिंतातुर श्रीराम ॥स०।। देखीनइ दुख कारण लखमण पूछीय३ रे लो॥ स०॥
१-भावइ।