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( ६८ ) इम कहिनइ ऊँची चढी, पासी गलइ ल्यइंजाम । लखमण द्रोडि पासई गयो, जाइ बोलावी ताम ।।२। सु०॥ मां मां मरईकां कामिनी, पासी नाखी नोडि । तुज्म पुण्ये हुँ आणीयो, पूरि तुं बछित कोडि ॥३। सुना लखमण फरसइ खुसीथई, झीली अमृतकुंड जाणि । लखमण लेई आवीयो, राम पास हित आणि ॥४१ सुगा चंदइ कीघो चंद्रणो, सीता दीठी ते नारि । कहइ हसि देउर ए किसी, चंद्ररोहिणी अणुसारि ॥५॥ सु०॥ लीलामई लखमण भणइ, ए देराणी तुज्झ । बात कही पासीतणी, थइ अस्त्री मुज्झ ।।६। सु०॥ सीता वात पूछंइ वली, तु कुण केहनी पुत्रि । कहि तुझ दुख केहउ हुँतउ, पासी लीधी कुण सूत्रि ।।७१ सु०। ते कहइ सुणि नगरी इणइ, राजा महीधर नाम । इन्द्राणी नाम एहवउ, पटराणी अभिराम ॥८सु॥ वनमाला वल्लभ घणु, हुं तस पुत्री चंग। बालपणइ बइठी हुती, बाप तण उछंगि ।।६। सु०।। राजसभा सवली जुडी, मांगण करई गुणग्राम । बोलइ घणी विरुदावली, लखमणनो लेई नाम ॥१० सु०॥ लखमण ऊपरि ऊपनो, मुझ मनि अति महाप्रेम । दूरिथका पणि ढूकडा, कमलिनी सूरिज जेम ॥११॥ सु०॥ एह प्रतिज्ञा मइ करी, इण भवि ए भरतार । दसरथ सुत लखमण जिको, प्रियु देजे करतार ।।१२। सुना