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॥ चाल॥ देव दयापर छोडि अम्हारउ, प्रीतम, उपगार गिणस्या तुम्हारउ। सीहोदर ओलख्यउ ए राम, हा मई मुंडु की, काम ।।१।। ने कहउ ते हिव हुँ करूं, राम कहइ सुणि राय । वजूजंव सुं मेलि करि, जिमि तुझ आणद थाय ।
॥चाल||
जिमि तुम आणद तेहवई ते नर, आवीनइ प्रणमइ राम सीतावर। राम कुशल खेम पूछ वात, मुझ परसादि कहइ सुखसात ॥१३॥ राम कहतू धन्यजे, कीधर साहमी काम । वनजंघ बइठउ तिहा, रामनई करि प्रणाम ।
चाल॥
रामनई कहइ वजूजघ निसुणि पहु, इणि मुझनई उपगार कीयउ बहु ।। सीहोदर वनजंघनइ भेलाकरि, मेल करायउ रामई बहुपरि ॥१४॥ दिवरायउ वनजंघनइ, विहिची आधउ राज । हयगय रथ पायक सहू, सीधा वंछित काज ॥
॥चाल॥ सीधा वंछित काज सहूना, विजुआनई कुंडल निज बहूना । सहोदर राय त्रिणसय कन्या, वजूई आठ आगधरि अन्या ॥१२॥ कहई लखमण एहा रहल, कन्या नि जोखीम । अम्हे परदेसई भमी, जा आवा ता सीम ।।
१-उठ्यो।