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॥ चाल ॥
लखमण छूटी चालि निवारया, मुठि भुजादंड केई मास्या । मारत २ केई नाठा, कंईक मुख लीधा त्रिण काठा ||८|| सीह आगलि जिम मिरगला, रवि आगलि नक्षत्र । गज गंधहस्ती आगलि, त्रासि गया यत्र-तत्र ।
॥ चाल ॥
त्रासि गया यत्र-तत्र कटक भट, कुप्या सीहोदर वल उत्कट |
गज आरूढ़ थिकु धसि आयउ, चतुरंग वल पणि चिहुं दिस धाउ || लखमणनइ वींटी लीयउ, मेघघटा जिमसूर ।
आलान थंभ उथेडिनई, कटक कायउ चकचूर ॥
॥ चाल ॥
कटक कीयउ चकचूर हजूरी, वज्रजंघ देखे राउ दूरि ।
ऐ ऐ देखउ अतुल पराक्रम, एकलइ कटक भाज्यउ इणि नर किम ||१०|| एनर सुर के असुर के विद्याधर कोइ,
तेहवइ लखमण पाडीयड सीहोदर पणिसोइ ।
॥ चाल ॥
सीहोदर पणि नीचठ पाड्यउ, पाछे वाही बाधी पछाड्यउ । आण्यउ राम समीप सीहोदर, राम कहर सावासि सहोदर ||११|| सहोदर अंतेरी, करs विलापनी कोडि |
पूठइ आवी इम कहइ, देवदयापर छोडि ||