________________
॥चाल॥
आघउ तुझ भोजन लाउ माहिज, तुहिवकरि साहमीनइं साहिज । गयउ लखमण सीहोदर पासई, भरतइ मुंक्यउ दूत इम भासइ ॥४॥ हू सगली पृथिवी नउ घणी, सहुको मुझ छत्रछाय । ब्रजजंघसुं कां करई, एवडउ जोर अन्याय ॥
॥ चाल ।। एवड़उ जोर अन्याय म करि तु, म करि सग्राम पाछउ जा घरि तुं। सीहोदर कहइ भरत न जाणइ, गुण दूषण तेहना तिण ताणइ ॥शा सीहोदर कहइ माहरउ, ए तउ चाकर राय। हठियउ हट्ट लेई राउ, न नमइ माहरा पाय ।।
॥ चाल॥
न नमइ माहरा पाय ते माटइ, मारि करिस एहनइ दहवाटइ। भरतनइ तात किसी ए करणी, आपणी करणी पार उतरणी ॥६॥ कहई लखमण तु भरतनी, जउ नवि मानइं आण । मुंकि विरोध तुं करि हिवइ, मुझ अगत्या प्रमाण ॥
|चाल॥ मुझ आज्ञा तुजउ नहीं मानइ, तउ तु पडीसि कृतात नइ पानई इणवचने सीहोदर रूठड, जमराणइ सरिखउ ते झूठल ||७|| रे रे कटक सुभट तुम्हें, एहनई मारउ मालि । विटवा लागा सुभट भट, लखमण छूटीं चालि॥