________________
( ४२ ) हिमनी वाली कमलिनीजी, जिमदीसई विछाय। पुत्र वियोग झूरी मुंईजी, तुम्ह विण घडीय न जाय ॥शाम्हांगा दुखकरती राणी सुणीजी, केकेई थयो दुःख । भरतनकहइ रोती थकी जी, राम विनां नहि सुख म्हापा तुझनइ राज सोहड नहीं जी, विण लखमण विण राम ॥ मा पणि मरिस्य३ फ़रती जी, पडिस्या सवल विराम ||खाम्हाला तिणपुत्र जा तु उतावला जी, राम मनावी आणि । केकेई साथइ करी जी, भरत चाल्यउ हित जाणि ||८|| म्हा०॥ चपल तुरंगम चडी बूहुर जी, पगि २ पूछइ राम । गंभीरा नदी ऊतरी जी, आवी विषमो ठाम म्हा०॥ घोडउं मुकि आघट गयउ जी, राम देखी गयऊ धाय ॥ आंखे आंसू नाखतो जी, भरत पड्यउ राम पाय ॥१॥म्हा०॥ रामइ हीडउ भोडियउजी, लखमण दीयो सनमान । करजोडी नई वीनवइ जी, तुम्हें मुझ तात समान ॥१शाम्हाला राज करो तुम्हें आविनई जी, हूँ छत्र धारीसि तुम्ह । सत्रुधन चामर ढालस्यई जो, एह मनोरथ अम्ह ।।१२शाम्हां। लखमण मंत्री थाइस्यई जी, तुम्हें मुंकर वनवास । केकेई आवी तिसंड जी, उतरी रथथी उल्हास ॥१३॥|म्हा०॥ हीयडई भीडी नइ कहई जी, पाछा आवउ पुत्र । राज अयोध्यानउ भोगवट जी, वात पडइ जिमि सूत्र ॥१४ाम्हाoll नारीनी जाति तोछडी जी, कूड कपटनउ गेह । अणख अदेखाई कर जी, अपराध खमजो एह ।।१शाम्हा०।।