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हिव राजा महुछव करइ, बेटी तणउ प्रगट्ट । दान मान दीजइ घणा, गीत गान गहगट्ट ||१|| कीयउ दसूठण अनुक्रमइ, भोजन विधि अभिराम । सकल कुटुंब सतोषीयउ, सीता दीधउ नाम ।।२।। गिरिकदर माहि जिम रही, वाघइ चपावेलि । तिम सीता वाधइ सुता, नयण अमीरस रेलि ॥३॥ पच घाइ पालीजती, सुखइ वधइ सुकमाल । महिला नी चवसठि कला, तिरण सीखी ततकाल ||४|| देह १ लाज २ गुण ३ चातुरी ४, काम ५ वध्यउ रगरेलि । भर जोवन आवी भली, चालइ गजगति गेलि ॥५॥
[ सर्नगाथा ६३]
५ढाल पांचवों
ढाल-नणदल विदली री सीता अति सोहइ, सीतातउ रूपइ रूडी ।
जाणे अम्बा डालिं सूडी हो ॥सी०॥ बेणी सोहइ लावी, अति स्याम भमरकडि प्रावी हो ।सी०॥ मुख ससि चांद्राउ कोघउ, अधारइ पासउ लीघउ हो ॥१॥सी०॥ राखडी सोहइ माथइ, जारणे सेष चूडामणि साथइ हो ।सी०॥ ससिदल भाल विराजइ,विचि विदली सोभा काजइ हो ।रासी।