________________
आणंद अगि न माय पुत्र नउ, विद्याधर महुछब करइ । घर बारि वन्नरमाल वाधी, कुकू ना हाथा धरइ । मुझ गूढगरभा गोरडीए, पुत्र जायउ इम कहइ । सहु मिली सूहब गीत गायइ, हीयउ हरखइ गहगहइ ll दसूठण करि दीपतउ ॥ पू० । भाम इल दीयउ नाम । बीज तणा चद नी परि ।। पू० ।। कुमर वधइ तिण ठाम ।। तिरिण ठाम कुमर वधइ भली परि, सुख समाधि सु गुणनिलउ । श्रेणीक पूछयउ गौतम पूरविलउ भव एतलउ ॥ ए ढाल त्रीजी थई पूरी, वात नउ रस लीजीयइ । इम समयसुदर कहइ किरण सु , वयर विरोध न कीजीयइ ॥१०॥
[सर्वगाथा ६७]
दूहा ३ वैदेही राणी हिवइ, पुत्र न देखइ पासि । हाहा किरणही अपहर्यउ, धरणि ढली नीरास ॥शा तत खिरण मुरछागत थई, सुत नउ दुख न खमाय । सीतल उपचारे करो, थई सचेतन साय ॥२॥ राणी दोयइ रमवडइ*, वीसरि गयउ विवेक । हीयडउ फाटइ दु.ख सु, करइ विलाप अनेक ॥३॥
[सर्वगाथा ७० ]
• रडवह