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[ ६४ ] के पास गया और परस्पर मिलकर सब प्रसन्न हुए। फिर सीता को । साथ लेकर लवकुश को समझाने के उद्देश्य से उसके पास आये। लव कुश ने सम्मानपूर्वक भामण्डलादि को अपने पक्ष में कर लिया।
लव कुश का राम से युद्ध केसरीरथ पर रामचन्द्र व गरुड़रथ पर लक्ष्मण आरूढ़ होकर रणभेरी बजाते हुए ससैन्य निकले। उनके साथ वन्हिसिख, बालिखिल्ल, वरदत्त, सीहोदर, कुलिस, श्रवण, हरिदत्त, सुरभद्र, विद्रम आदि पांच हजार सुभट थे। लव कुश की सेना में अग, कुलिंग, जालंधर सिंहल, नेपाल, पारस, मगध, पानीपत और वब्बर देश के राजा थे। दोनों दल परस्पर भिड गये। खून की नदिया बहने लगी, गगनगामी विद्याधरों में भामंडल लव कुश का सहायक हो गया और उसने विद्युत्प्रभ, सुग्रीव, पवनवेग आदि को लव कुश की उत्पत्ति वतलाकर सब को उदासीन कर दिया। लव कुश राम लक्ष्मण से युद्ध करने लगे। तीरों की वर्षा से अश्वों को मारकर व रथों को चकनाचूर करके उन्होंने राम लक्ष्मण को विस्मित कर दिया। वनजंघ और भामंडल लव कुश की सहायता कर रहे थे। बलदेव, वासुदेव के देवाधिष्ठित अस्त्र उस समय काष्ट सहश हो गए। लक्ष्मण जैसा वीर जिसने कोटिशिला उठाई व रावण को मारा था वह भी कुश के सामने निराश होकर अन्तिम उपाय चक्र-ग्ल को छोड़ने के लिए प्रस्तुत हो गया। चक्र के छोड़ने पर वह तीन प्रदिक्षणा देकर वापस लक्ष्मण के पास लौट आया। लोगों ने कहा-साधु के वचन असत्य हो रहे है, मालूम होता है कि भरतक्षेत्र मे नये वलदेव,