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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली राणी जाग्यो हुँ हिज हिवे, मंगावी ल्युमाल, मूक्या प्यादा आपका, साथे देई हमाल ||५| सेठाणी कहै माहरे, सघलै घर रो सार, बीजो काइ जाणुनहीं, इण मंजूप मझार, ॥६॥ हमाले आणी हिवै, मोटि निउं मंजस, राणी जाणे सार ते, ल्यु वहिलेरो लू स ॥७॥
ढाल (४)-धरम आराधीयर, ए देशी
तालो खोलावै तिस ए, ऊभी राणी आण, पहिला प्रोहित प्रगट्यो ए, वहिलो गयो संताप, ।११ हिवं इचरज थयो ए, जोयजो करम संजोग, विपयारस वाह्या थका ए, विगड़े दोनु लोग, २। कहै राणी तें सुकीयो ए, हसिवा लागी हेव, प्रोहित कहै हसजो पछे ए, देखो वीजा देव, ३। जितरै बीजे वारण ए, नीकलियो कोटवाल, राणी कहै ओ काइ ए, करवी थी संभाल, ।४। म्हा विण चोकी कुण कर ए, कहै कोटवाल निदान, ततखिण तीजा ठाम थी ए, प्रगट थयो परधान ।। हस राणी कहै स्युहुवो ए, दफतर थारै हाथ, मु तो कहै मन आवणा ए, राजा जी के पास, ६ तालो चौथो खोलता ए, पोते प्रगट्यो राय, माथे ओढे ओटणा ए, लोका माहे लजाय ।)