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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली
इति हस्तिभय महा सह सीह अबीहं उदंड,
भरै फाल आफालतो पुच्छ झडं, डग फाडि डाचौ वड वज मुडं,
महातिक्ख नक्खं रखे गेप चहं ।। १३ ।। फुरक्कावतो मुछि फाडत तुडं,
___ ललक्कंत लोला विकट विहड । धणी पास चौ नाम ध्यान धरड,
टलै श्याल ज्यु मीह होए अहडं ॥ १४ ॥
इति सिह भय जले जंगला में जटा जूट जाला,
प्रणा झाड़ ऊजाड़ में लग्ग झाला | चहू मृग्ग वग्ग पसू पंखि वाला,
बलंता कमेडा चिड़ा जंतु माला ।। १५ ।। धुखे धूम लग्गे कीया नग्ग काला,
भलो माल रुखे टल्या नाहि टोला । बड़े सकटे एण आया विचाला,
प्रभु नाम नीरै बुझे तत्तकाला ।। १६॥
___इति अग्नि- भय कलू काल रूपी महा विक्करालं,
फणा टोप रो महाकोप जाल ।