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________________ ३०० धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली अष्ट भय निवारण श्री गौड़ी पाब्वनाथ छंद ॥ दोहा । सरस वचन दे सरसती, एह अरज अवधार । पारथिया पहिड़े नहीं, उत्तम ए आचार ॥ १॥ हित करिजे मोसु हिवै, देजे वैण दुरस्त । कवियण पिण सुणि नै कहै, सखरौ घणु सरस्स ॥२॥ गुण गरूऔं गौड़ी धणी, पारसनाथ प्रगट्ट । मन सूधै मोटा तणा, गुण गाता गहगट्ट ।। ३ ।। घद-नाराच प्रसिद्ध बुद्धि सिद्धि निद्ध ऋद्धि वृद्धि पूर ए, कलत्त पुत्त कित्ति वित्त वद्धते सनूर ए, विजोग सोग रोग विग्ध अग्घ सिग्य घायकं. प्रगट्ट देव नित्त मेव सेव पास नायक , ४ गुमान मोड़ि हत्थ जोड़ि देव कोडि वग्ग ए, अनूप भूप चुप धारि आइ पाइ लग्ग ए , पहू बहू सुकित्ति नित्त सव्व सोभ लायकं , प्र० ५ कुबोह लोह कोह द्रोह मोह माण वज्जियं, अनंत कात शात दात रूप मंण लज्जियं, असेस शुद्ध तत्त जुत्त सोभ ए अमायकं , प्र० ६
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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