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धर्मवद्धन ग्रन्थावली राचौ समकित रंग साचौ ने सदाइ हो
सेवो जिन वौसमौ रे। माचौ मत मद संग, काचौ न कहीजे हो
___ काया घट ए कारमो रे ॥३॥ किणहिक पुण्य प्रकार प्रगट पाम्यो हो,
नरभव पंचेन्द्री पणो रे। आरिज कुल अवतार तिम वली लाधो हो,
शासन तीर्थकर तणो रे ॥४॥ इण भव जिणवर एक अवर न सेवुहो
आसत मन माहे इसी रे। विजय हरप सुविवेक, धरि बहुभावै हो
गावै गुण इस धरमसी रे ॥५॥
श्री गौडी पार्न गीत गीत सपखरौ जाति
जगि जागे पास गौडी लोक दोडी दोडी आवै जात । कोडी लाख देखो देव जोडी नावै कोइ । सारिखा घणा ही नाम तिणे काम सरे न को। जैन मोटी आरिखा सौं पारिखाले कोइ ॥१॥ विकट्टे प्रगट्टे थट्टे निपट्ट उवट्ट व? सकट्टे निकट्टे दुखा चूरण समाथ ।