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गौडी पार्श्व स्तवन
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श्रीपार्श्व स्तवन राग-खभायती
आज नै अम्हारै मन आसा फलीया । नग्नणेपार्श्वजिनेश्वर निख्या, हरख्या मन हुइ रंग रलिया ॥२॥ त्रेवीसम जिन त्रिभुवन तारण, मनमोहन साहिव मिलिया। मो मन जिनगुण लागे मीठा, जिमै दूध साकर मिलिया ॥२॥ विहसत मरति नयण विराज, कोमल कमल तणी कलिया।' दरसण दीठे पाइ दौलति, दुख दोहग दूरै दलीया ॥३॥ समकित दायक लाधो साहिब,मुह माग्या पासा ढलीया । धरमसीह कहै धरमी जन ने, सुख थाय जस साभलीया ।।४।।
गौडो पार्न स्तवन ढाल-सु बरदेरा गीत री।
आणी आणी अधिक उमाह भवियण भावी हो
भावन श्री भगवतनी रे। लीजै नर भव लाह, कीरति कहीजै हो
एक मना अरिहत नी रे ॥१॥ - मन थी दुविधा मेट अडिग आणीजै हो,
अधिकी मन में आसता रे। नामै एहने नेट पातक पुलायै हो,
थायइ शिव सुख शासता रे ॥२॥