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ऐतिहासिक व्यक्ति वर्णन
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कहर म्लेच्छा शहर डहर कन्द काटिवा,
लहर दरियाउ निज धरम लौचै । हिन्दुओ राउ आइ दिली लेसी हिवे,
सवल मन माहि सुलताण सोचे ।४।
नाजर पानदरान जी रो सङ्गयो ज्ञायक गुण अगाह, न्याय को करै निवाह,
आलोची वडी अथाह धीरज को धाम जू । सज्जन फल्यो उमाह, दुज्जना के हिये दाह,
पुण्य को सदा प्रवाह जाको शुभ नाम जू । चित्त मे धरते चाह नित्त ही उडीके राह,
पूज्यौ इष्ट देवताह कीनौ इष्ट काम जू । सब ही कर सराह वाह वाह वाह वाह,
आयो तो भयो उच्छाह श्री आनन्दराम जू । १।