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चटक माहे मिल्यौ कटक चालै ॥२॥ तड़ा तड़ि तोब करि गयण तड़के तड़ित, महाझड़ झड़ि करि झम मंड्यौ। कड़ा किड़ि कोध करि काल कटका कीयौ, खिणकर वल खल सबल खंड्यौ ॥३॥ सरस वाना सगल की सजल थल, प्रगट पुहवी निपट प्रेम प्रघला। लहकती लाछि वलि लील लोको लही, सुध मन करे धर्मशील सगला ॥ ४ ॥
३. श्री महावीर जन्म सफल थाल वागा थिया धवल मंगल सयल तुरत त्रिभुवन हुआ हरप त्यारां । धनद कोठार भंडार भरिया धने, जनमियो देव बधमान ज्यारा ।। १ ।। वार तिण मेरगिरि सिहर न्ववरावियो भला सुर असुरपति हुआ मेला । सुद्रव वरपा हुई लोक हरप्या सहु, वाह जिनवीर री जनम वेला ॥२॥ मिहर जगि ऊगते पूगते मनोरथ जुगति जाचक लहै दान जाचा। मडिया महोछव सिधारथ मौहले, सुपन त्रिसला सुतन किया साचा ॥ ३ ॥