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प्रस्ताविक विविध सग्रह । १२७
समस्या-नोली हरी विचि लाल ममोला - थोरी सी वेस में भोरी सी गोरीसी,
गोरी चलावति नैन गिलोला। जाकै लागै ते डिगै मुन ही, मनहि महि मारत मार झलोला। मोहै सबै मन मौहैं अचंभजु, कौहै कही यह रैन अमोला। हसै घट चुंघट ओट में आनन
नीली हरी विचि, लाल ममोला ॥ १ ॥ एक समे वृषभान कुमारि, सिंगार सजै मनि आनिइ लोला। रंग हर्ये सब वेस वणाइ कै, अंगुल काइ लए तिहि ओला।' आए अचाण तहा घनश्याम, लगाइ झरी करें केलि कलोला । घु घट मे एकयों अधरा मनु, नीलहरी विचि लाल ममोला। '
समस्या पूर्ति--टेरण के मिस हैरण लागी चंप सुंच्यार सखी मिलि चौक में, गीत विवाह के गावन लागी। , गौख ते कान्ह को साद सुण तें, भइ वृषभान सुता चित रागी। जाइ नही चिंतयौ उत ओर, सखीनि कै बीचि में बैठी सभागी। उतें कर कौ सुकराज उडाइ कै, टेरण के मिसि हेरण.लागी ॥२॥
भानि मै वद ज्युगोए के वृद में, बैठे है नद के नंद सोभागी । , एते मैं आइ घटा घुरराइ, घनाघन की बरसै झर लागी।
आधि कै राधिक कान के अंग, आलिंगनु काजु भइ अनुरागी। आइ के गाइ वताइद्यौ कान्ह यौ, टेरण के मिसि हेरण लागी ।।२।।
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