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धर्मवनमाली
feat atara उन्हाल. छुटो सुख दुख त
आवियै जेण संसार है.
बात से नेहा ॥ ५ ॥
थुरा जलवर वै धान श्री रा.
सरस मानेसर नको सख्या । फसल फल फूल री हंस सगले फले.
बडी ऋतु सरित माहि वरिषा ॥ ६ ॥ दुरदर्शन
मन में धरता मरट घर जिम भू भू.
मेले घर गया मऊ भटकि सूआ पर भूमैं । टाने मा बाप बेचि द्य जीमण वेड,
लतां रिगता करें ॥ १ ॥
कोइ काल महा दुस्मण कहा, आखा देस उजाड़ीया । ए दैव बरस इकाव, पडते वह नर पाडिया ॥ १ ॥ पण धरि घण पोखता निहोरे कण पिण नाप,
कवल एक कारण वहस एवं बेटा बाप | हीओ माइ हारि नै छोआ उभा छोडे,
ऊच कुला आवसी आइ नीचा कर जोडे । गति मत्ति उगति भूलें गड, गिन को आभौ गितो,
कोई आप पाप प्रगट्यो यवल एवो वरल इकावनी ॥२॥ दुनियां दीवौ दुख वरस इण इकावने,
पहुती जाय पुकार इन्द्र सांभलि विण अन्ते ।