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प्रस्ताविक विविध सग्रह
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चालि सिद्धद्धरि सहु सिद्धि, धन धन किद्ध, द्धरणिय वृद्धि द्धन्नह । खुद्ध द्धम, गय लद्ध धीरज, भृद्ध चि पुणि दद्धि द्धिप्पिय । रिद्धि द्धण भर वद्ध दामह दिद्ध द्धन रिण, बुद्धि धर्मसी शुद्ध द्धरि हित सज्ज ॥२॥ जग सगळं जग०
सीत उष्ण वर्षा काल वर्णन ठड सवली पर्डे हाथ पग ठाठरें,
वायरो उपरा सवल वाजै । माल साहिव तिकै मौज माणे मही,
भूखियइ लोक रा हाड भाजै ॥ १ ॥ किडकिडे दात री पात सीसी करै,
धूम मुख ऊखमा तणा धखिया । दुरव सुगरव सौ जाणि गुजें दरक,
___टरव हीणा सनै लौक दुखिया ॥ २ ॥ सौडि विचि सूइजे तापिजें सिगडिए,
सवल सी माहि पिण सद्रव सोरा। एतिण वार में पाण ती ओजगी,
दोजगी भरै निसदिस दोरा ॥ ३ ॥ झाड उन्हाल री झाड @ झाखरा,
___ जल तजे पालि पाताल जावें। साधन वैठा पिय मालिए सरवता,
निधन नइ पिण नीर हाथ नावें ॥४॥