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प्रस्ताविक विविध संग्रह . साच कर धार 'धर्मसी' संसार में,
रिधू जग सार उपगार रहसी ॥ ४ ॥
मेह ( वर्षा ) सबल मेंगल वादल तणा सज करि,
गुहिर असमाण नीसाण गाजै । जंग जोरै करण काल रिपु जीपवा,
आज कटकी करी इंद राजै ॥१॥ तीख करवाल विकराल वीजलि तणी,
घोर माती घटा घर र घालै । छोडि वासा घणी सोक छाटा तणी, .
__चटक माहे मिल्यौ कटक चाले । तडा तड़ि तोव करि गयण तडकै तड़ित,
महाझड़ झड़ि करि झूम मंड्यौ । कडा किडि कोध करि काल कटका कीयौ,
खिणकरें बल खल सबल खंड्यौ ।। ३ ॥ सरस वांना सगल कीध सजल थल,
प्रगट पुहवी निपट प्रेम प्रघला । लहकती लाछि वलि लील लोको लही,
सुध मन करें धर्म-शील सगला ॥ ४ ॥
मैह,( वर्षा ) गीत • मंडि झड़ घमड कर ईस ब्रह्मण्डरा तुझ घर माहि किण बात त्रोटा।