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तारहो || भं || पु || २५ || काया शरल नें भाव शरल सूं रेलाल । बले भाषा शरल पिछा हो ॥ भ ॥ ज़ैहवो करै तेहवा मुखसूं कहै रेलाल । तिगासे शुभनाम कर्म बंधै हो || ||२६|| ये च्यारूं ही बो• ल वांकां वर्तियां रेलाल | तिणसूं बंधै अशुभ ना म कर्म हो ॥ भ ॥ ते सावद्य करणीछे पापरीलाल । तिण में नहीं निरजरा धर्महो || भ ॥ पु ॥ २७ ॥ जाति कुल बल रूपर्ने रेलाल । तप लाभ सूत्र ठ कुरा हो || || ए हूं हीं मद नें करें नहीं रेलाल-1. तिणथी ऊंच गौत बंधाय हो | म ॥ पु ॥२८॥ ये हूं हीं मद कियांगकां रेलाल | बांधै नीच गौत कर्म हो ॥ भ || ते सावध करणी है पाप रीलाल । तियमें नहीं पुन्य नें धर्म हो ॥ भ ॥ पु ॥ ॥ २६ ॥ ज्ञानावरणी नें दरिशणाबरणी रेलाल । वले मोहनीयनें अन्तराय हो || भ || ये व्यारू ए कान्ति पापकर्म है रेलाल । त्यांरी करणी नहीं श्राज्ञामांय हो ॥ भ ॥ पु ॥ ३० ॥ बेदनी आयुपो नाम गौत है रेलाल । ए च्यारूं ह्रीं कर्म पुन्य पाप हो ॥ भ ॥ तिण में पुन्यरी करणी निखद्य क-ही रेलाल । तिगरी आज्ञा दे जिन श्रापहो | म ॥