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________________ statistakes totakatarikakakakakakarketstatistatuttar ९० . कविवरवनारसीदासः । वश हो गये, और उनकी मृत्युके चार महीने पश्चात् शाहजहां सिंहासनारूढ़ हुए । शाहजहां जहाँगीरके बेटे थे। जहांगीरने २२ ३ वर्ष राज्यभोग किया । काईमीरके गार्गमें उनकी अचानक मृत्यु हो गई । इसी वर्ष बनारसीदासजीकी तीसरी भार्याने प्रथमपुत्र अवशाहजहां और वडा सरदार महतावखां ये दोनों बागी हो रहे थे, जहांगीर मर गया, और शाहजहां अपने बापके मरनेको खवर सुनते ही मारामारा मुल्क दक्षिणसे उत्तरको आया, और सन् १९२८ में । आगरे आकर उसने गद्दीपर बैठनेका इश्तहार दे दिया । अवश्य हो। कविवर लिखित ४ महीने इस बीच में गुजर गये होंगे, और तन्त माली, रहा होगा। तुजुक जहांगीरीमें बादशाहकी मृत्युके विषय इस प्रकार लिखा है-"मच्छी भवन, अजोल और बेरनागकी सैर करके बादशाह काश्मीरसे लाहौरकी ओरको बढे, और वीरमकल्लेफे पहादमें एक कुतूहलजनक शिकार करनेमें आप मन हुए। जमीदार लोग हारणोंको हकालके पहाडकी चोटीपर लाते थे, और बादशाह साहब नीचेसे गोली मारते थे । हरिण गोली खाकर चार खाता हुआ, नीचे तक आता था, इससे आप पडे प्रतन होते थे । (पर हाय! उन वेचारे तृणजीची जीवोंको भी वया प्रसन्नता होती थी?) एक दिन उस देशका एक प्यादा एक हरिणको घेरकर पहाइपर लाया। वह हारेण एक पत्थरकी ओटमें इस तरह हो गया, कि, वादशाह नीचे उसे नहीं देख सक्त थे, इसलिये वह (प्यादा) उसके हकालनेको फिरसे चला । परन्तु चलनेमै अभागेका पैर फिसल पड़ा । पास ही एक वृक्ष था, उसको उसने पकडा परन्तु वह उखड आया । निदान उस पहाडकी चोटीसे लुडकता हुमा बुरी तरहसे जमीन पर आ गिरा, और गिरते ही प्राणहीन हो गया। एकके पीछे एक जीवकी यह दशा देखकर बादशाहको बड़ा उद्वेग हुआ । वे अपने दुखित वित्तको yatririkt.ketrint.ttakkaket.totket.t-tattatutanki.k.k.kuti.kakakakakakakirtitatika
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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