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Festitutstakottackskit tatute totketstetatute tattato ११८६ जैनग्रन्थरत्नाकरे
अथ पहेली लिख्यते.
कहरानामाकी चाल. कुमति सुमति दोऊ अजवनिता, दोडको कन्त अवाची।
वह अजान पति मरम न जाने, यह भरतासो राची ॥१॥ * यह सुबुद्धि आपा परिपूरण, आपापर पहिचाने ।
लख लालनकी चाल चपलता, सौतसाल उर आने ॥ २ ॥ करै विलास हास कौतूहल, अगणित संग सहेली। काहू समय पाय सखियनसों, कहै पुनीत पहेली ॥३॥ मोरे आंगन विरवा उलयो, विना पवन झकुलाई। ऊंचि डाल बड पात सघनवाँ, छाहँ सौतके जाई ॥ ४ ॥ बोलै सखी वात मैं समझी, कहूं अर्थ अव जो है। तोरे घर अन्तरघटनायक, अदभुत विरवा सो है ॥ ५॥ ऊंची डाल चेतना उद्धत, बड़े पात गुण भारी। ममता वात गात नहिं परसै, छकनि छाह छत नारी ॥६॥ उदय स्वभाव पाय पद चंचल, यात इत उत डोले ।
कबहूँ घर कहूं घर बाहिर, सहज सरूप कलोल ॥ ७॥ ___ कबहूं निज संपति आकर्षे, कबहू परसै माया।
जब तनको त्योनार करै तब, परै सौति पर छाया ॥८॥
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१ इसको कवियों ने सार छन्द माना है, नरेन्द्र (जोगीरासा) की राह पर भी यह चलता है.
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